जो तकनीक हमें फँसाती है, वही तकनीक हमें बचाती भी है”
प्रो. मानस रंजन पाणिग्रही
उद्यमिता एवं कौशल विकास केंद्र संगम विश्वविद्यालय द्वारा भारत सरकार के राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के आर्थिक सहयोग से एक दिवसीय अंतर-पीढ़ी संबंध प्रोत्साहन कार्यशालाओं की श्रंखला के अंतर्गत तृतीय कार्यशाला का आयोजन युवाओं के माध्यम से बुजुर्गों के जीवनपर्यंत ई-अधिगम और साइबर सुरक्षा जागरूकता को प्रोत्साहन देना विषय पर किया गया । कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य युवाओं और बुजुर्गों के बीच ई –लर्निंग और साइबर सुरक्षा जागरूकता के माध्यम से अंतर-पीढ़ी संबंधों को प्रोत्साहन देना था। स्वागत उद्बोधन में डॉ. मनोज कुमावत ने बदलते डिजिटल समय में युवाओं को अपने माता-पिता और संबंधियों के बीच तकनीकी अनुभवों को साझा करते रहने पर बल दिया और कहा कि युवाओं और बुजुर्गों के सम्मिलित अनुभवों तथा प्रयासों से समाज को नवीन क्षितिज की ओर उन्मुख किया जा सकता है । उप कुलपति प्रोफेसर मानस रंजन पाणिग्रही ने कहा कि तकनीकी कौशल युवाओं और बुजुर्गों को साईबर ठगी से बचा सकता है । यह तब ही संभव है, जब युवा और बुजुर्ग एक- दूसरे को मनोभावों को समझते हुये नई तकनीक को सीखने और सिखाने की एक-साथ बैठकर चर्चा करें, क्योंकि जो तकनीक हमें फँसाती है, वही तकनीक हमें बचाती भी है । मुख्य अतिथि श्रीमती शालु गोयल प्राचार्य एवं श्री ऋषि भट्ट सहायक आचार्य, पॉलीटेक्निक महाविद्यालय, भीलवाड़ा और उनके सहयोगियों ने तकनीकी शिक्षा और युवाओं में उसकी जागरूकता पर अपने विचार रोचक ढंग से प्रस्तुत किए ।
कार्यशाला के दो सत्रों उप-अधिष्ठाता प्रो. विकास सोमानी और कंप्यूटर विभाग की सहायक आचार्या पल्लवी कृष्णा पुरोहित ने युवाओं को साईबर सुरक्षा और ई- लर्निंग को कंप्यूटर प्रयोगशाला में सजीव प्रस्तुतीकरण के द्वारा जागरूक किया । विशेषज्ञों ने साईबर सुरक्षा और ई-लर्निंग से संबंधित एप्लिकेशन्स के विषय में सारगर्भित जानकारी दी ।
कार्यशाला में आये युवाओं का सम्मान प्रशस्ति पत्र देकर किया गया। इस अवसर पर विभिन्न संकायों के सदस्य डॉ. तनुजा सिंह, डॉ. रामेश्वर रायकवार, डॉ. कनिका चौधरी ने कार्यशाला में सक्रिय सहयोग दिया। मंच संचालन और पंजीकरण व्यवस्था को विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने संभाला। कार्यशाला के अंत में डॉ. संजय कुमार ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।