भीलवाड़ा,उद्यमिता और कौशल विकास केंद्र संगम विश्वविद्यालय द्वारा भारत सरकार के राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के आर्थिक सहयोग से एक दिवसीय अंतर-पीढ़ी संबंध प्रोत्साहन कार्यशालाओं की श्रंखला के अंतर्गत 7वीं कार्यशाला का आयोजन बीते हुये कल के ज्ञान को आने वाले कल के साथ जोड़ने की प्रतिज्ञा विषय पर किया गया । कार्यशाला के आरंभ में डॉ. मनोज कुमावत ने बदलते परिवेश में विभिन्न आयुवर्ग के लोगों के मध्य सम्बन्धों को प्रभावित करने वाली चुनौतियों और उनके प्रभावों को रेखांकित किया । मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर करुणेश सक्सेना ने अपने वक्तव्य में कहा कि जिस तरह गर्मी के मौसम में व्यक्ति को छाया और पानी की आवश्यकता होती है। वैसा ही महत्व युवाओं के लिए उनके बुजुर्गों का है जो अपने अनुभव की छाया और ज्ञान की शीतलता से उनके जीवन को ओजपूर्ण बनाते हैं । प्रथम सत्र में युवाओं के सृजनात्मक पक्ष को उजागर करने के लिए कला एवं मानविकी संकाय से अदिति नरेडिया ने चित्रकला के महत्व से युवाओं को अवगत कराया और उन्हे अपने विचारों को उड़ान देने के लिए चित्रकला प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। द्वितीय सत्र में विधि विभाग के डॉ. गौरव सक्सेना ने अपने सत्रीय वक्तव्य में कहा कि पुरखों की संपप्ति के बांटबारे और उससे उत्पन्न विवादों को विधि द्वारा सुलझाया जा सकता है जिससे पारिवारिक संबंधों का अनुरक्षण भी होता है । इसके पश्चात उन्होने मूट कोर्ट वाद-प्रतिवाद प्रतियोगिता के लिए विधि विभाग के प्रतिभागियों की दो टीमों का परिचय कराते हुये इसके महत्व को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया । कार्यशाला में आये युवाओं का सम्मान प्रशस्ति पत्र देकर किया गया। इस अवसर पर विभिन्न संकायों के डॉ ओमप्रकाश, डा जोरावर सिंह,डॉ. संजय कुमार, डॉ. रामेश्वर रायकवार आदि उपस्थित रहे । कार्यशाला के अंत में डॉ. तनुजा सिंह ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।