स्थानीय संगम विश्वविद्यालय में कृषि संकाय के शस्य विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक धर्मेन्द्र कुमार मौर्य ने “गेहूं की फसल में एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन और बुआई की विभिन्न तिथियों पर अध्ययन” विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इस शोध से गेहूँ की फसल में हो रहे अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन द्वारा कम किया जा सकता है, जिससे गेहूँ के पोषकमान में वृद्धि होगी तथा हानिकारक रसायनो के अवशिष्ट की मात्रा कम होगी परिणाम स्वरूप मानव स्वास्थ्य पर रसायनों का दुष्प्रभाव भी कम पड़ेगा| यह उपाधि शोध पर्यवेक्षक डॉ. हेमराज मीणा के कुशल निर्देशन में पूर्ण हुई। सहायक प्राध्यापक अजय कुमार जायसवाल ने “टमाटर के उकठा रोग कारक फ्यूसेरियम ऑक्सीस्पोरम एफ. एसपी. लाइकोपर्सिकी की परिवर्तनशीलता पर समर्थ जैव – कारको, वानस्पतिको एवं उनके मिश्रणों के प्रभाव का अध्ययन” विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इस शोध से टमाटर की फसल में उकठा रोग से किसानो को होने वाले नुकसान को आगामी प्रबंधन से कम किया जा सकता है| यह उपाधि शोध पर्यवेक्षक डीन प्रो. (डॉ.) एस. पी. टेलर एवं सह-शोध पर्यवेक्षक डॉ. मोहम्मद फैजल के कुशल निर्देशन में पूर्ण हुई। कृषि संकाय के मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग के सहायक प्राध्यापक केशव प्रसाद कुर्मी ने “औद्योगिक अपशिष्ट का मिट्टी के गुणों और फसलों के उत्पादन पर प्रभाव” विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इस शोध से उद्योगों से निकालने वाले अपशिष्ट जल को उपचारित कर एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन द्वारा फसलों में सिंचाई के लिए उपयोग करने पर भूमिगत जल प्रदूषण एवं मिट्टी पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सकता है| यह उपाधि शोध पर्यवेक्षक डीन प्रो. (डॉ.) एस. पी. टेलर एवं सह-शोध पर्यवेक्षक डॉ. सत्यवीर सिंह के कुशल निर्देशन में पूर्ण हुई। इस अवसर पर संगम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.(डॉ.) करुणेश सक्सेना, प्रो-वाइस चांसलर प्रो.(डॉ.) मानस रंजन पाणिग्रही, रजिस्ट्रार प्रो.(डॉ.) राजीव मेहता, आइक्यूएसी निदेशक डॉ. प्रीती मेहता एवं रिसर्च डीन प्रो.(डॉ.) राकेश भण्डारी ने शोधार्थी के उज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की।