भीलवाड़ा,संगम विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बेसिक एंड अप्लाइड साइंस की डीन तथा डायरेक्टर आइक्यूएसी प्रोफेसर प्रीति मेहता ने बताया कि रसायन विज्ञान विभाग में कार्यरत सहायक प्रोफेसर पंकज सेन का रिसर्च आर्टिकल विश्व के प्रतिष्ठित पब्लिशर स्प्रिंगर नेचर में प्रकाशित हुआ है। सेन संगम विश्वविद्यालय भीलवाड़ा में रिसर्च लेबोरेटरी रसायन विज्ञान के माध्यम से निरंतर भूमिगत जल की गुणवत्ता तथा उसमें उपस्थित अधिकतम फ्लोराइड मात्रा को कम करने हेतु प्रयासरत है तथा इसी क्रम में उनका यह पेपर मांडलगढ़ स्थित त्रिवेणी संगम के जल की गुणवत्ता के निर्धारण हेतु सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड दिल्ली द्वारा प्राप्त डाटा के आधार पर वॉटर क्वालिटी इंडेक्स ज्ञात करके अनुसंधान किया गया तथा यह पाया गया कि समय के साथ निरंतर नदी में अपशिष्ट पदार्थों का समावेश होना जल की गुणवत्ता को हानि पहुंचा रहा है तथा यह हानि जल के माध्यम से सभी मनुष्य जगत तथा पादप जगत दोनों को प्रभावित कर रही है । रिसर्च आर्टिकल में अलग-अलग मौसम के आधार पर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से प्राप्त डाटा को संकलित करके जल गुणवत्ता सूचकांक ज्ञात किया गया जिससे यह पाया गया कि निरंतर समय के अनुसार जल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है तथा जल प्रदूषित हो रहा है जल की गुणवत्ता को प्रभावित होने से रोकने के लिए हमें जल में अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन इंडस्ट्री से निकले हुए वेस्ट का निष्कासन तथा विभिन्न प्रकार की पेस्टिसाइड्स तथा केमिकल्स के उपयोग पर रोक लगानी होगी तथा सरकार के माध्यम से कुछ ऐसी पॉलिसी विकसित करनी होगी जैसे कि जल की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले हानिकारक क्रियाकलाप प्रतिबंधित हो सके | रसायन विज्ञान विभाग के रिसर्च टीम पंकज सेन तथा उनके साथी जगदीश जाट, निरमा धाकड़ के द्वारा टेक्सटाइल इंडस्ट्री से निकले हुए वेस्ट जल को उपचारित करके पुनः घरेलू उपयोग में प्रयुक्त करने हेतु रिसर्च लैब संगम यूनिवर्सिटी भीलवाड़ा में निरंतर अध्ययन जारी है ।पंकज सेन संगम विश्वविधालय से प्रो राजीव महता के निर्देशन में अपना शोध अनुसंधान कार्य पूरा कर रहे है। विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट प्रो. करुणेश सक्सेना ने पंकज सेन को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।