संगम विश्वविद्यालय, स्कूल ऑफ बेसिक एंड एप्लाइड साइंसेज ने भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस), मानव मूल्यों और नैतिकता, प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान के तत्वों को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए अध्ययन बोर्ड में शैक्षणिक क्षेत्र में कई निर्णय लिए। प्रो. प्रीति मेहता ,डीन स्कूल ऑफ साइंस ने बताया कि यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है, जो आधुनिक शिक्षा के साथ पारंपरिक भारतीय ज्ञान के एकीकरण पर जोर देती है। आईकेएस को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की रूपरेखा पूर्व में अकादमी काउंसिल में बना ली गई थी।
कुलपति प्रो. करुणेश सक्सेना ने बताया कि यूजीसी का आदेश है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में 5% पाठ्यक्रम में आईकेएस शामिल होना चाहिए। इस प्रयास का उद्देश्य पारंपरिक और समकालीन ज्ञान का मिश्रण करना, समग्र शैक्षिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर गर्व को बढ़ावा देना है। संगम विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान प्रणाली पर पाठ्यक्रम शामिल करने वाला पहला विश्वविद्यालय बनकर शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी कदम उठाया है।प्रो वीसी प्रो. मानस रंजन पाणिग्रही और रजिस्ट्रार प्रोफेसर राजीव मेहता ने बताया कि इन विषयों का समावेश न केवल भारत की समृद्ध विरासत को संरक्षित करता है बल्कि पारंपरिक ज्ञान के लेंस के माध्यम से समकालीन वैज्ञानिक और नैतिक चुनौतियों के बारे में छात्रों की समझ को भी बढ़ाता है। इस बैठक में प्रो. एम.पी. पुनिया (बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी), डॉ. नरोतम शर्मा [वैज्ञानिक, डीएनए लैंस देहरादून], डॉ. देवेन्द्र कुमार [एमएलएसयू उदयपुर] ने बाहरी विशेषज्ञ सदस्य के रूप में भाग लिया और विज्ञान कार्यक्रमों के पाठ्यक्रम को समृद्ध करने के लिए अपने बहुमूल्य सुझाव दिए। विज्ञान के बीएससी और एम.एससी पाठ्यक्रम के कार्यक्रम समन्वयकों ने आगामी शैक्षणिक सत्रों के लिए पाठ्यक्रम में संशोधन के लिए अपने सुझाव प्रस्तावित किए और उन पर चर्चा की। स्कूल आफ इंजीनियरिंग डीन प्रोफेसर आरके सोमानी ने बताया कि एसओईटी बोर्ड ऑफ़ स्टडीस में नए तकनीकी कोर्स, टेक्सटाइल कोर्स आदि पर चर्चा करी तथा सहमति करी।